Friday 29 March 2019

ये जिंदगी है यारों

मैने कई दिनोंसे इस ब्लॉग की तरफ ध्यान नही दिया था। फिर भी कुछ वाचक इस ब्लॉग को देखते, पढते रहे यही मेरे लिये बडीही खुशीकी बात है। मैं उनका शुक्रगुजार हूँ।
आज से मै फिर इस पिटारे में कुछ न कुछ जमा करता रहूँगा। आज एक दिलचस्प  कविता सादर कर रहा हूँ। कवि का नाम मुझे भी पता नही। वह जो भी हो उसका मैं  शुक्रगुजार हूँ।

१. ये जिंदगी है यारों,

कभी तानों में कटेगी,
कभी तारीफों में;
ये जिंदगी है यारों,
पल पल घटेगी !!

पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
फिर भी क्यों चिंता करते हो,
इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,
ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी !

बार बार रफू करता रहता हूं
जिन्दगी की जेब !!
कम्बखत फिर भी,
निकल जाते हैं...,
खुशियों के कुछ लम्हें !!

ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...
ख़्वाहिशों का है !!
ना तो किसी को गम चाहिए,
ना ही किसी को कम चाहिए !!

खटखटाते रहिए दरवाजा...,
एक दूसरे के मन का;
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए !!

उड़ जाएंगे एक दिन ...,
तस्वीर से रंगों की तरह !
हम वक्त की टहनी पर...,
बेठे हैं परिंदों की तरह !!

बोली बता देती है,इंसान कैसा है!
बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!
घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है !
संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!

ना  राज़ है... "ज़िन्दगी",
ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!

जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये;
पर...बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!

         🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻


२.  बहुत हैं

वक्त पे न पहचाने कोई , ये अलग बात है,
वैसे तो शहर में अपनी , पहचान बहुत हैं।

खुशियां कम, और अरमान बहुत हैं,
जिसे भी देखिए यहां, हैरान बहुत हैं।

करीब से देखा तो, है रेत का घर,
दूर से मगर उसकी, शान बहुत हैं,

कहते हैं, सच का कोई सानी नहीं,
आज तो झूठ की, आन-बान बहुत हैं।

मुश्किल से मिलता है, शहर में आदमी,
यूं  तो कहने को, इन्सान बहुत हैं।

तुम शौक से चलो, राहें-वफा लेकिन,
जरा संभल के चलना, तूफान बहुत हैं।

वक्त पे न पहचाने कोई, ये अलग बात हे,
वैसे तो शहर में अपनी, पहचान बहुत हैं।
  🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 

३. इसी का नाम ज़िन्दगी है

कुछ दबी हुई ख़्वाहिशें है, 
कुछ मंद मुस्कुराहटें....
कुछ खोए हुए सपने है, 
कुछ अनसुनी आहटें....
कुछ दर्द भरे लम्हे है, 
कुछ सुकून भरे लम्हात.....
कुछ थमें हुए तूफ़ाँ हैं, 
कुछ मद्धम सी बरसात.....
कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हैं, 
कुछ नासमझ इशारे.....
कुछ ऐसे मंझधार हैं, 
जिनके मिलते नहीं किनारे....
कुछ उलझनें है राहों में, 
कुछ कोशिशें बेहिसाब....
बस इसी का नाम ज़िन्दगी है चलते रहिये, जनाब.