Thursday 23 June 2016

शराब - महान शायरों का नजरिया

शराब - एक ही विषय पर 6 महान शायरों का नजरिया -

Mirza Ghalib मिर्जा गालिब  :
"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर ,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं ।"

Iqbal इकबाल :
"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं ।"

अहमद फराज Ahmad Faraz :
"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर ,
खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं ।"

वासी Wasi :
"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं ।"

साकी Saqi :
"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौनसा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नहीं ।"

शायर ? Shayar ?:
सब पीते अपने मज़े के लिए, बेवजह बदनाम गम है,
तबियत से पी कर देखो, फिर दुनिया क्या  जन्नत से कम है ।

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शराब के बारे में कुछ और बातें 

🥃 🥃
*मुझे शराब से महोब्बत नही है
*महोब्बत तो उन पलो से है
*जो शराब के बहाने मैं
*दोस्तो के साथ  बिताता हूँ।

 🥃🥃
*शराब तो ख्वामखाह ही बदनाम है..
नज़र घुमा कर देख लो..
इस दुनिया में..
शक्कर से मरने वालों की तादाद बेशुमार हैं!
                                             🥃🥃
तौहीन ना कर शराब को कड़वा कह कर,
जिंदगी के तजुर्बे, शराब से भी कड़वे होते है...

🥃🥃
कर दो तब्दील *अदालतों* को *मयखानों* में साहब;
सुना है नशे में कोई झूठ नहीं बोलता ! 
                                                                🥃🥃
सबसे कड़वी चीज़ इन्सान की *ज़ुबान* है,
*दारू और करेला*, तो खामखां बदनाम हैं !

🥃🥃🥃🥃🥃🥃🥃

"बर्फ का वो शरीफ टुकड़ा  जाम में क्या गिरा... बदनाम हो गया..."

"देता जब तक अपनी सफाई...    वो खुद शराब हो गया....."

*ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो....*
*कुछ आदतें बुरी भी सीख ले गालिब,*

*ऐब न हों तो.....*
*लोग महफ़िलों में नहीं बुलाते ....*
🥃🥃🥃🥃
🤣🤣🤣🤣
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