Tuesday 23 July 2019

कुछ शेर अर्ज हैं।

कुछ शेर अर्ज हैं।

१.
*कभी साथ बैठो..*
*तो कहूँ कि दर्द क्या है...*

*अब यूँ दूर से पूछोगे..*
*तो ख़ैरियत ही कहेंगे...*

२.
 *सुख मेरा काँच सा था..*
*न जाने कितनों को चुभा गया..!*

३.
*आईना आज फिर,*
*रिशवत लेता पकड़ा गया..*
*दिल में दर्द था और चेहरा,*
*हंसता हुआ पकड़ा गया...*

४.
*वक्त, ऐतबार और इज्जत,*
*ऐसे परिंदे हैं..*
*जो एक बार उड़ जायें*
*तो वापस नहीं आते...*

५.
*दुनिया तो एक ही है,*
*फिर भी सबकी अलग है...*

६.
*दरख्तों से रिश्तों का,*
*हुनर सीख लो मेरे दोस्त..*
*जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,*
*तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं...*

७.
*कुछ रिश्ते हैं,*
*...इसलिये चुप हैं ।*

*कुछ चुप हैं,*
*...इसलिये रिश्ते हैं ।।*

८.
*मोहब्बत और मौत की,*
*पसंद तो देखिए..*
*एक को दिल चाहिए,*
*और दूसरे को धड़कन...*

९.
*जब जब तुम्हारा हौसला,*
*आसमान में जायेगा..*
*सावधान, तब तब कोई,*
*पंख काटने जरूर आयेगा...*

१०.
*हज़ार जवाबों से,*
*अच्छी है ख़ामोशी साहेब..*

*ना जाने कितने सवालों की,*
 *आबरू तो रखती है...*
👍🌹

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 कह दो समुंदर से कि लहरों को संभालकर रखें,
मेरे अपने ही काफी हैं जिंदगी में तूफान लाने के लिए.
 बहुत कमिया निकालने लगे हैं हम दूसरों में …
आओ एक मुलाक़ात ज़रा आईने से भी कर लें…

दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर...,, ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी !!
🌝
 एक शाम आती है तुम्हारी याद लेकर
एक शाम जाती है तुम्हारी याद देकर
पर मुझे तो उस शाम का इंतेज़ार है,
जो आए तुम्हे अपने साथ लेकर
 😭 💔 😢

--


*फुर्सत में करेंगे* 
  तुझसे हिसाब-ए-ज़िन्दगी;
     अभी तो उलझे हैं
       खुद को सुलझाने में...

 *इसका दिल रखा और* 
  कभी उसका दिल रखा
    इसी कशमकश में भूल गए
     खुद का दिल कहा रखा है।

 *फिसलती ही चली गई* 
    एक पल भी रुकी नहीं,
    अब जा के महसूस हुआ 
      रेत के जैसी है जिंदगी !.

 *कौन है जिसके पास* 
      कमी नहीं है।
      आसमाँ के पास भी 
          जमीं नहीं है।।

*चलें चलकर*,
   सुकून ही ढूंढ़ लाएँ..!!
       ख्वाहिशें तो 
        खत्म होने से रहीं....!!

-- 

Sunday 7 July 2019

आम का सेहरा

आम के बारे में कुछ खास बातें 
         
                              ..... सागर खैयामी

"आम का सेहरा"


जो आम मैं है वो लब ए शीरीं मैं नहीं रस,
रेशों मैं हैं जो शेख़ की दाढ़ी से मुक़द्दस,

आते हैं नज़र आम, तो जाते हैं बदन कस,
लंगड़े भी चले जाते हैं, खाने को बनारस,

होटों पे हसीनों के जो, अमरस का मज़ा है,
ये फल किसी आशिक़ की, मोहब्बत का सिला है

आमद से दसहरी की है, मंडी में दस्हेरा,
हर आम नज़र आता है, माशूक़ का चेहरा,

एक रंग में हल्का है, तो एक रंग में गहरा,
कह डाला क़सीदे के एवज़, आम का सेहरा,

ख़ालिक़ को है मक़सूद, के मख़्लूक़ मज़ा ले,
वो चीज़ बना दी है के बुड्ढा भी चबा ले,

फल कोई ज़माने में नहीं, आम से बेहतर,
करता है सना आम की, ग़ालिब सा सुख़नवर,

इक़बाल का एक शेर, क़सीदे के बराबर,
छिलकों पा भिनक लेते हैं , साग़र से फटीचर,

वो लोग जो आमों का मज़ा, पाए हुए हैं,
बौर आने से पहले ही, बौराए हुए हैं,

नफ़रत है जिसे आम से वो शख़्स है बीमार,
लेते है शकर आम से अक्सर लब ओ रुख़सार,

आमों की बनावट में है, मुज़मर तेरा दीदार,
बाज़ू वो दसहरी से, वो केरी से लब ए यार,

हैं जाम ओ सुबू ख़ुम कहाँ आँखों से मुशाबे,
आँखें तो हैं बस आम की फांकों से मुशाबे,

क्या बात है आमों की हों देसी या बिदेसी,
सुर्ख़े हों सरौली हों की तुख़्मी हों की क़लमी,

चौसे हों सफ़ैदे हों की खजरी हों की फ़जरी,
एक तरफ़ा क़यामत है मगर आम दसहरी !

फ़िरदौस में गंदुम के एवज़ आम जो खाते,
आदम कभी जन्नत से निकाले नहीं जाते !!

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लब-ए-शीरीं لب شیریں  luscious lips, sweet lips
मुक़द्दस -  परम पवित्र और पूज्य।
कस - कसौटी (जैसे—कस पर खींचना)। दाब, क़ाबू (जैसे—उसे कसकर रखना, कस में रखना)। दृढ़ता, मज़बूती।
सिलाصلہ - present, gift, reward प्रतिकार, बदला, प्रत्यपकार, बुराई का बदला, प्रत्युपकार, भलाई का बदला, पुरस्कार, इन्आम, उपहार, तोहफ़ा, किसी परिश्रम का फल या बदला, धन के रूप में हो या किसी दूसरे रूप में।
आमदآمد - arrival, advent, income, visit आगमन, आय, आमदनी
खालिक - बनानेवाला, सृष्टिकर्ता, ईश्वर।
मक़सूद - अभिप्रेत, उद्दिष्ट।
मख़लूक - रचा या बनाया हुआ।  जीव-समष्टि; सृष्टि; दुनिया; जगत; जीव-जंतु।
हर्फ़-ए-सनाحرف ثنا words of praise
सुख़न-वरسخن ور - eloquent, poet
बौर - आम की मंजरी।
रुख़सार - कपोल, गाल
खुम - मटका, घड़ा।
फ़िरदौस - वाटिका, बाग। स्वर्ग, बहिश्त।
गंदुम - गेहूँ।
आदम - मनुष्य, व्यक्ति। आदि पुरुष


Sunday 9 June 2019

अनमोल वचन


*  एक बार राधाने कृष्णसे पूछाः दोस्त और प्यारमें क्या फर्क होता है?
कृष्ण हंसकर बोलेः प्यार सोना है और दोस्त हीरा. सोना टूटकर दुबारा बन सकता है, मगर हीरा नही।

*  दिन बार के काम के बाद,
बेटा पूछता है  क्या लाये ???
बीवी पूछती ही कितना बचाया ???
पापा पूछते ही कितना कमाया???
लेकिन माँ पूछेगी, बेटा कुछ खाया ???

*  कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है, तो भरकर बाहर आती है...
जीवन का भी यही गणित है, जो झुकता है वह प्राप्त करता है...

*  जीवन में किसी का भला करोगे, तो लाभ होगा... क्योंकि भला का उल्टा लाभ होता है ।

और

*  जीवन में किसी पर दया करोगे, तो वो याद करेगा... क्योंकि दया का उल्टा याद होता है।


*  भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने 'इन्सानो ' की.

*  जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया, शौक तो माँ-बाप के पैसों से पूरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पूरी होती है।

*  माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती, यहाँ आदमी आदमी से जलता है..

* दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि जीवन में मंगल है या नही..

*  ग़ालिब ने खूब कहा है - ऐ चाँद तू किस मजहब का है ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा..



Friday 29 March 2019

ये जिंदगी है यारों

मैने कई दिनोंसे इस ब्लॉग की तरफ ध्यान नही दिया था। फिर भी कुछ वाचक इस ब्लॉग को देखते, पढते रहे यही मेरे लिये बडीही खुशीकी बात है। मैं उनका शुक्रगुजार हूँ।
आज से मै फिर इस पिटारे में कुछ न कुछ जमा करता रहूँगा। आज एक दिलचस्प  कविता सादर कर रहा हूँ। कवि का नाम मुझे भी पता नही। वह जो भी हो उसका मैं  शुक्रगुजार हूँ।

१. ये जिंदगी है यारों,

कभी तानों में कटेगी,
कभी तारीफों में;
ये जिंदगी है यारों,
पल पल घटेगी !!

पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
फिर भी क्यों चिंता करते हो,
इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,
ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी !

बार बार रफू करता रहता हूं
जिन्दगी की जेब !!
कम्बखत फिर भी,
निकल जाते हैं...,
खुशियों के कुछ लम्हें !!

ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...
ख़्वाहिशों का है !!
ना तो किसी को गम चाहिए,
ना ही किसी को कम चाहिए !!

खटखटाते रहिए दरवाजा...,
एक दूसरे के मन का;
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए !!

उड़ जाएंगे एक दिन ...,
तस्वीर से रंगों की तरह !
हम वक्त की टहनी पर...,
बेठे हैं परिंदों की तरह !!

बोली बता देती है,इंसान कैसा है!
बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!
घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है !
संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!

ना  राज़ है... "ज़िन्दगी",
ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!

जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये;
पर...बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!

         🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻


२.  बहुत हैं

वक्त पे न पहचाने कोई , ये अलग बात है,
वैसे तो शहर में अपनी , पहचान बहुत हैं।

खुशियां कम, और अरमान बहुत हैं,
जिसे भी देखिए यहां, हैरान बहुत हैं।

करीब से देखा तो, है रेत का घर,
दूर से मगर उसकी, शान बहुत हैं,

कहते हैं, सच का कोई सानी नहीं,
आज तो झूठ की, आन-बान बहुत हैं।

मुश्किल से मिलता है, शहर में आदमी,
यूं  तो कहने को, इन्सान बहुत हैं।

तुम शौक से चलो, राहें-वफा लेकिन,
जरा संभल के चलना, तूफान बहुत हैं।

वक्त पे न पहचाने कोई, ये अलग बात हे,
वैसे तो शहर में अपनी, पहचान बहुत हैं।
  🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 

३. इसी का नाम ज़िन्दगी है

कुछ दबी हुई ख़्वाहिशें है, 
कुछ मंद मुस्कुराहटें....
कुछ खोए हुए सपने है, 
कुछ अनसुनी आहटें....
कुछ दर्द भरे लम्हे है, 
कुछ सुकून भरे लम्हात.....
कुछ थमें हुए तूफ़ाँ हैं, 
कुछ मद्धम सी बरसात.....
कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हैं, 
कुछ नासमझ इशारे.....
कुछ ऐसे मंझधार हैं, 
जिनके मिलते नहीं किनारे....
कुछ उलझनें है राहों में, 
कुछ कोशिशें बेहिसाब....
बस इसी का नाम ज़िन्दगी है चलते रहिये, जनाब.